किसी भी सृजनात्मक कार्य
का कर्ता यानि कलाकार का सृजन का मुख्य उदेश्य मूलतः तीन ही होते हैं : स्वांतः सुखाय
अर्थात आनंद, यशोपार्जन या फिर अर्थोपार्जन। कलाकार को आनंद
तो सृजन के क्षणों मे मिल जाता है लेकिन अगर बाद में उसकी कृति चोरी हो जाए या
अन्य व्यक्ति दावा करने लगे तो उसका यश लाभ और अर्थोपार्जन बाधित हो जाता है। कोई
भी कृति कलाकार के मानस की उपज होती है। उसे भौतिक रूपकार प्रदान करने में लंबे
समय तक शारीरिक और मानसिक श्रम की आवश्यकता होती है। इस प्रकार कृति कलाकार द्वारा
अर्जित सम्पदा होती है। वास्तव में कृति का मूलाधार कलाकार की बौद्धतिकता होती है
इसलिए उसे बौद्धिक संपदा कहा जाता है। बौद्धिक सम्पदा पर अधिकार और संगत लाभ से अगर
रचनाकार वंचित हो जाए तो उसके के मौलिक अधिकारों का हनन होता है और यह स्थिति
मानहानिकारक भी होती है। अगर कोई किसी के अधिकारों का हनन करे या फिर मानहानि करे
तो यह कृत्य अपराध होता है।
पुराने समय में बौद्धिक
सम्पदा से जुड़े अपराध जटिल नहीं होते थे। प्रिंटिग प्रेस के आविष्कार नें पुस्तकों
की हजारों लाखों प्रतियाँ छपना संभव बना दिया। इसलिए एक ऐसे कानून की आवश्यकता
महसूस की गई जो प्रतिलिपि का अधिकार सुनिश्चित करता हो। फलतः कॉपीराइट एक्ट बना।
कॉपीराइट एक्ट या
प्रतिलिपि अधिकार अधिनियम, 1847 भारत का इस विषय पर पहला
कानून था जो 1911 तक बना रहा। इसके बाद इंगलिश कॉपीराइट एक्ट 1911 भारत में 31
अक्तूबर, 1912 से लागू किया गया। 1914 में भारतीय विधानमंडल
ने इंग्लिश कॉपीराइट एक्ट, 1911 के प्रावधानों को सम्मिलित
करके भारतीय कॉपीराइट अधिनियम, 1914 लागू किया। जब इंग्लिश
एक्ट, 1911 को इंग्लिश कॉपीराइट एक्ट,
1956 द्वारा प्रतिस्थापित कर दिया गया तो भारतीय अधिनियम को बदलना आवश्यक हो गया।
इसलिए आज का कॉपीराइट एक्ट, 1957 में बना जो पूरी तरह से
भारतीय है।
कॉपीराइट एक्ट, 1957 में अब तक पाँच बार (1983,1984,1992,1994 और 1999 ) संशोधन किया गया है। वर्तमान
कॉपीराइट एक्ट, 1999 में संशोधित होकर 15 जनवरी 2000 से लागू
है।
वर्तमान कॉपीराइट एक्ट एक
व्यापक कानून है।
इस अधिनियम के अनुसार,
शब्द 'कॉपीराइट' का अर्थ है कोई कार्य को करने या उसका
पर्याप्त भाग करने या प्राधिकृत करने का एकमात्र अधिकार। इसके
अंतर्गत,
- · साहित्यिक रचना
- · नाट्य रचना
- · संगीत रचना
- · कलात्मक रचना
- · चलचित्र रचना
- · ध्वनि रिकार्डिंग
- · कम्प्युटर से जुड़ी रचनाएँ जैसे सारणी, डाटाबेस आदि
के स्त्वाधिकार, संबन्धित अपराध और दंड के लिए नियम निर्धारित किए गए हैं। मोटे तौर पर यह
इस अधिनियम की विशेषता मानी जा सकती है। लेकिन इस अधिनियम की विशेषताओं को थोड़े
गहराई से समझने के लिए इसके प्रावधानों की जानकारी आवश्यक है।
कॉपीराइट एक्ट के
प्रावधानों के अध्ययन के बाद जो विशेषताएँ परिलक्षित होती है वे निम्नलिखित हैं :
·
प्रतिलिपि अधिकार रजिस्ट्रार के
अधीन एक प्रतिलिपि अधिकार कार्यालय खोला जाएगा जो केंद्र सरकार के निरीक्षण में
उसके निर्देशानुसार कार्य करेगा। इस कार्यालय का मुख्य कार्य एक प्रतिलिपि अधिकार
रजिस्टर को बनाए रखना होगा जिसमें लेखकों की इच्छा पर उनके नाम, पते, उनके प्रतिलिपि अधिकार तथा अन्य जानकारियाँ
लिखी होंगी। यह रजिस्टर आम जनता की जानकारी की लिए उपलब्ध रहेगा। प्रतिलिपि अधिकार
के रजिस्ट्रेशन को बढ़ावा देने के लिए यह आवश्यक बनाया गया है।
·
यदि किसी को प्रतिलिपि अधिकार के
उलंघन का मुकदमा या कोई कानूनी प्रक्रिया करनी हो तो यह तब तक नहीं होगा जबतक उसकी
कृति प्रतिलिपि अधिकार कार्यालय में रजिस्टर्ड नहीं होगी।
·
प्रतिलिपि रजिस्ट्रार का यह
कर्तव्य होगा कि वह आवश्यक लाइसेन्स के आवेदनों को सुने एवं उसका निबटारा करे तथा
ऐसी शिकायतों कि जांच-पड़ताल करे जो प्रतिलिपि अधिकार के उलंघन से संबन्धित हो। इस अधिनियम में प्रतिलिपि
अधिकार रजिस्ट्रार के विरूद्ध प्रतिलिपि अधिकार बोर्ड में अपील का भी प्रावधान है।
·
यह अधिनियम प्रतिलिपि अधिकार
बोर्ड को यह अधिकार देता है कि वह किसी प्रदर्शन करनेवाले कलाकार या सोसाइटी की
फीस की दर, खर्चे या रायल्टी तय करेगा, किसी कीर्ति को आम लोगों में प्रदर्शित करने के लाइसेंसों के आवेदन पर
गौर करेगा और कुछ खास परिस्थितियों में मुआवजे तय करेगा। प्रतिलिपि अधिकार बोर्ड
के आदेश के खिलाफ अपील उच्चन्यायालय में की जा सकेगी।
·
प्रतिलिपि अधिकार शब्द की
व्याख्या का विस्तार करते हुए इस अधिनियम में रेडियो डिफ़्यूजन द्वारा संचार करने
का एकाधिकार भी शामिल किया गया है।
·
एक सिनेमैटोग्राफ फिल्म का उसकी
कहानी, संगीत आदि के प्रतिलिपि अधिकार से स्वतंत्र अपना अलग प्रतिलिपि अधिकार
होगा।
·
यदि कोई लेखक अपनी रचना का
प्रतिलिपि अधिकार किसी को दे देता है तो इस अधिनियम के तहत उसे पुनः वापस पा सकता
है बशर्ते प्रतिलिपि अधिकार कि तारीख से सात वर्ष बीत चुके हों लेकिन यह दस वर्ष
से पहले हो और उसे करारनामे के समय ली गई राशि को सूद सहित वापस करना होगा।
·
सामान्य स्थिति में प्रतिलिपि
अधिकार कि स्थिति लेखक के जीवनपर्यंत और मरने के बाद पचास वर्ष बाद तक है जबकि
अंजान और दूसरे नाम से प्रकाशित लेखकों के लिए यह अवधि कम है।
·
वर्तमान अधिनियम में, भारत छपी कृति अगर दस वर्ष से पहले अनूदित हो गई हो तो उसके अनुवाद का
अधिकार दस वर्ष बाद खत्म हो जाता है।
·
किसी भी एलेक्ट्रोनिकल या
मेकेनिकल माध्यम से किसी कृति के जनमंचन के लिए आम या खास लाइसेन्स का प्रावधान
है।
·
पुस्तकालयों को यह अधिकार दिया
गया है कि अगर प्रतिलिपि अधिकार प्राप्त पुस्तक की अन्य प्रति उपलब्ध नहीं हो तो
वह उसकी एक कॉपी करावा सकता है।
·
जनमंचन करनेवाली संस्थाओं की
गतिविधियों पर नियंत्रण के लिए, उनके द्वारा फीस , खर्चे एवं रायल्टी लेने पर प्रावधान बनाए गए हैं।
·
प्रतिलिपि अधिकार से मिलते-जुलते
कुछ अधिकार ब्रॉडकास्टिंग अधिकारियों को भी दिया गया है।
·
किसी कृति का रेडियो या न्यायिक
प्रक्रिया द्वारा उचित प्रयोग प्रतिलिपि अधिकार का उलंघन नहीं है।
·
अंतरराष्ट्रीय कॉपीराइट संबंध जो
अंतरराष्ट्रीय संधियों पर आधारित है उनको केंद्र सरकार द्वारा इन विषयों पर प्रदत आदेशों
के अनुसार नियंत्रित किया जाएगा।
संदर्भ :
1. कक्षा
व्याख्यान – सतीश उपाध्याय।
2. कॉपीराइट
– कमलेश जैन।
3. इंटरनेट
(ब्लॉग, कानूनी पहल)।