बुधवार, 22 अप्रैल 2015

आपदा प्रबंधन की नाट्य व्यवहारिकता



आपदा प्रबंधन की नाट्य व्यावहारिकता पर विचार करने से पहले हम आपदा प्रबंधन के स्वरूप पर चर्चा करते है. आखिर आपदा प्रबंधन है क्या? आपदा प्रबंधन, आपदा और प्रबंधन दो शब्दों के मेल से बना है. आपदा, की परिभाषा विभिन्न व्यक्ति विभिन्न तरह से दे सकते है. जैसे कोई कहता है: आपदा वह मानव जनित अथवा प्राकृतिक घटना है, जिसके परिणामस्वरूप जान-माल की व्यापक क्षति होती है. इसलिए इसका अंत मानवीय वेदना तथा कष्टों में होता है. दूसरी परिभाषा हो सकती है : आपदा एक असामान्य घटना है जो थोड़े ही समय के लिए आती है और विनाश के चिन्ह लंबे समय के लिए छोड़ जाती है.
Oxford dictionary में कहा गया है: an unexpected event, such as a very bad accident, a flood or a fire, that kills a lot of people or causes a lot of damage – अर्थात, कोई अनचाही घटना, जैसे कि कोई बुरी दुर्घटना, बाढ़ या आग जिसमें बहुत लोग मारे गए हों, बहुत अधिक क्षति हुई हो, आपदा कहलाती है. इन सभी परिभाषाओं में एक बात सामान्य है, वह है- unexpected event यानि अनचाही घटना. दूसरी बात oxford dictionary की परिभाषा से निकलकर आती है. वह है very bad accident. नाटकीय संदर्भ में आपदा प्रबंधन को समझने के लिए हमें इन दो बातों पर गौर करना चाहिए. छोटी दुर्घटना भी तो बहुत बुरी हो सकती है. अमूमन लोग आपदा को बड़े मायने में ही समझते हैं. लेकिन यह उचित नहीं है. आपदा को कार्य या तंत्र या व्यवस्था सापेक्षिक समझा जाना चाहिए. अगर छोटे कार्य में, छोटे तंत्र में या छोटी सी व्यवस्था में कोई अनचाही छोटी सी भी बात हो जाए, जिसके कारण वह कार्य, तंत्र या व्यवस्था बुरी तरह प्रभावित हो जाए, तो वह घटना उसके लिए आपदा ही है. आपदा के सिवाय और कुछ नहीं. अब हम प्रबंधन पर विचार करते है. प्रबंधन वस्तुत: किसी भी स्थिति या स्थितियों के विरुद्ध की गई व्यवस्था को कहा जाता है. आपदा अनचाही ही सही एक स्थिति ही है. अत: उसके विरुद्ध की गई व्यवस्था, उससे निपटने के लिए, या उसके प्रभाव को यथा संभव कम करने के लिए, आपदा प्रबंधन कहलाता है. अब हम आपदा प्रबंधन को  नाट्य के सन्दर्भ में समझने का प्रयास करते है. इसके लिए हमें नाट्य के स्वरूप और संभावित आपदा पर विचार करना होगा. फिर आपदा प्रबंधन की नाट्य व्यावहारिकता आसानी से स्पष्ट हो जाएगी. नाट्य अपने प्रकारों से निरपेक्ष, कई लोगों के लंबे श्रम की अपेक्षा रखता है. इसमें विभिन्न कलाओं का समावेश होता है. सिनेमा के उलट प्रस्तुति के समय अभिनय के साथ-साथ मंच और पात्र सामग्री के अतिरिक्त सेट और विभिन्न अभिनय क्षेत्रों का समुचित और कुशलता पूर्वक उपयोग दर्शकों के सामने ही करना होता है. इस जटिल कार्य – व्यापार में अनेकों आपात स्थितियाँ हो सकती हैं. गिनती करने पर तो बहुत अधिक आपात स्थितियों को गिना जा सकता है लेकिन विषय को स्पष्ट करने के लिए मैं मुख्य आपात स्थितियों की ही चर्चा कर रहा हूँ.
  •   प्रस्तुति के दिन किसी कलाकार का आक्समिक बीमार पड़ जाना, दुर्घटना हो जाना या उसके परिजन का निधन हो जाना आदि.
  •   किसी कलाकार का अन्य कारणों से समय पर नहीं पहुँच पाना.
  •     भीषण आँधी-तूफान-वर्षा का आ जाना.
  • शॉर्ट-सर्किट से आग लग जाना.
  •   प्रदर्शन के समय किसी लाइट का फ्यूज हो जाना.
  •   अभिनय के दौरान किसी प्रकार की दुर्घटना हो जाना. जैसे-चाकू, लाठी आदि किसी कलाकार को लग जाना
  • अभिनय के दौरान किसी कलाकार द्वारा संवाद भूल जाना, दूसरे के संवाद बोल देना कई संवाद छोड़ देना आदि
  •   मंच-क्षेत्र में या दर्शक दीर्घा में साँप, बिच्छु आदि कीड़े-मकोड़े का निकाल आना.
  •   सेट का धंस जाना, टूट जाना, सेट बनाने में प्रयुक्त कील आदि का किसी कलाकार के पाँव में धंस जाना.
  •   प्रस्तुति के लिए दर्शकों की अनुमानित संख्यां के लिए की गई व्यवस्था से अधिक दर्शकों के आ जाने से या किसी प्रकार की अपवाह फैल जाने से अफरातफरी या भगदड़ मच जाना.
नाट्य प्रस्तुति के लिए ये सभी स्थितियां आपदा हैं. जिनका पूर्वानुमान बेहद कम होता है. कभी-कभी बिलकुल होता ही नहीं है. कुछ स्थितियाँ कम असरकारक तो कुछ अधिक असरकारक होती हैं. कम असरकारक स्थितियाँ प्रस्तुति में बाधा या अवरोध उत्पन्न करती हैं तो ज्यादा असरकारक स्थिति प्रस्तुति को असफल बना सकती है. अभी बताई गई सभी स्थितियों का परिणाम हम सभी लोग सहज ही समझ सकते है. लेकिन प्रस्तुति का वसूल, ‘show must go on’ हमें किसी भी स्थिति में उसे रोकने की इजाजत नहीं देता है. इसलिए हमें अपने विवेक और अनुभव का सहारा लेकर किसी भी संभावित आपात स्थिति से निपटने की व्यवस्था पहले ही कर लेनी चाहिए. नाट्य प्रस्तुति को प्रभावित करनेवाली संभावित किसी भी आपदा से निपटने की व्यवस्था कर लेना ही नाट्य के सन्दर्भ में आपदा प्रबंधन है.        
जब हम किसी प्रस्तुति की तैयारी करते हैं तो हमारा एक मात्र उद्देश्य उसकी सफलता होती है. इसे ही नाट्य शास्त्र में थोड़ा विश्लेषित करके सिद्धि कहा गया है. किसी भी प्रकार की आपदा नाट्य प्रस्तुति में बाधा उत्पन्न करके उसे विफलता की ओर ले जाती है. यानि की सिद्धि में बाधा उत्पन्न करती है. जबकि उचित प्रबंधन हमें समग्र सिद्धि यानि पूर्ण सफलता की निश्चितता की ओर ले जाती है. यही आपदा प्रबंधन की नाट्य व्यावहारिकता है.

 संदर्भ :
1. आपदा प्रबंधन – मानक लक्ष्य सिरीज
2. Oxford Advance Learner’s Dictionary    

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